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मित्रता से बड़ा कोई वरदान नहीं है। जिस व्यक्ति के पास अच्छे मित्र होते हैं उसका जीवन स्वत: ही आसान हो जाता है।हम सभी को अपने जीवन में कुछ लोगों की आवश्यकता होती है जिनके साथ हम अपना समय बिता बिता सके,अपना सुख दुख बांट सकें,अपने मुसीबतों का समाधान कर सके।हमारा परिवार तो हमेशा ही हमारे साथ खड़ा रहता है परंतु जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी हमारा साथ दे वही सच्चा मित्र होता है।कहते हैं, " मित्रता आनंद को दुगना और दुख को आधा कर देती है। "
मित्रता ईश्वर का सबसे बड़ा आशीर्वाद होता है।परंतु यदि मित्रता सोच समझ कर न की जाए तो बहुत घातक सिद्ध हो सकती है।हमें मित्रता हमेशा ऐसे लोगों से करनी चाहिए जो सच्चे और ईमानदार हो।जो हमें सही दिशा दिखाएं और हमारी गलती पर हमें टोके।सच्चे दोस्त कभी भी अपने दोस्तों को नुकसान नहीं पहुँचाते।सच्ची मित्रता में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं होता।जो लोग अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए मित्रता करते हैं,वह हमारे मुसीबत के समय सबसे पहले हमारा साथ छोड़ते हैं।हमें ऐसे लोगों से हमेशा सावधान रहना चाहिए क्योंकि "सच्चा मित्र वही है जो मुसीबत में साथ दें। "

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